द्वितीय भाव से विचारणीय विषय

जायजात, पैतृकधन, बैंक बैलेंस, संस्कार, मुंह, मुंह के भीतर का अंग,दाहिनानेत्र, वाच शक्ति, कुटुंब, पाटीदार, वाणी,जीभ,श्रवण शक्ति, बोलनेकी कला, खानपान, खाद्य पदार्थ, स्वयंको चोट व जीवन साथी के मृत्यु का कारण, दाहिनाअंग, मिडिल शिक्षा, क्रय विक्रय, मौसी, मित्रता,इसकाकारक बृहस्पति है, चोट का स्थान, मामा, दाढ़ीमूछ, अचल संपत्ति,सोना,चांदी,बैंक बैलेंस, पुनर्विवाह, बैंक में जमा धन,लाकरमें रखा गया धन,महत्वपूर्णकागजात, क्रय विक्रय, आश्रित, विशेषभोग,संयुक्त परिवार का विचार द्वितीयभाव से होगाI इस भाव का कारक गुरु हैI