वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को एक शुभ ग्रह माना गया है। ज्योतिष में जहां सूर्य को पिता तो चंद्रमा को स्त्री ग्रह माना जाता है। चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी के साथ रोहिणी, हस्त और श्रावण नक्षत्र के स्वामी होते है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन, माता, मनोबल, बांयी आंख और छाती के कारक ग्रह होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम लोग यहाँ पर चंद्रमा से विचारणीय विषय के बारे में जानेंगे -
कफ, चंचलता,शिथिलता, मन और रसिक होने की भावना, वनस्पतियों का विचार, पितरों का विचार चंद्रमा से होता है। इच्छा और रूप,कला, श्रृंगार, प्रेम, आकर्षण, सौंदर्य, जवानी मनोदशा, मानसिक शांति, स्वभाव में सौम्यता,बाया नेत्र, माता, मौसी, और प्रति दिन की घटना का विचार चंद्रमा से होगा। नेत्रों का विचार होगा। इसके माध्यम से नेत्र सुंदर, मृदुल व बड़ी होती है। जल तत्व,शीतलता, जल और जल से संबंधित स्थानों पर नियंत्रण है। नमकीन वाला स्वभाव है। रोहिणी, हस्त्र और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। देवता चंद्रमा के शिव हैं। चांदी धातु पर इसका प्रभाव है, सफेद वस्तुओं पर प्रभाव है,अपने से बड़े उम्र के प्रति इसका लगाव रखता है। माता, मौसी,सास, माता का दूध, बचपन का विचार, जन्म के समय का विचार चंद्रमा से होता है। पीरियड,प्रदर रोग, आलस्य,सर्दी,जुखाम इन सब का विचार चंद्रमा से होगा। नर्स और नर्स से जुड़े हुए जो कार्य है उनका विचार, औषधि का विचार चंद्रमा से होगा। सिंचाई विभाग, रसीली वस्तुओं का व्यापार, डेयरी, दूध प्रोडक्ट ,मिठाई का कारोबार चंद्रमा में आ जाएगा। इंपोर्ट एक्सपोर्ट जो कि समुद्री मार्ग से हो उसका विचार, रक्त का विचार इसी से होगाI इमैजिनेशन पावर यानी कल्पना शक्ति का विचार चंद्रमा से होगा। निमोनिया, श्वास रोग, टीवी,छयरोग, मिर्गी या मिर्गी जैसे दौड़े आना, चक्कर, मनोरोग, पागलपन, बेचैनी, फोबिया, डिप्रेशन, चिंता,बाल्यकाल, फेफड़ा, छाती का विचार, स्मरण शक्ति,जलोदर, रक्तचाप, माता से संबंधित प्रत्येक विषय की जानकारी,पेट और पाचन पर भी प्रभाव होता है। स्तनों का कारक है, स्त्री की योनि का भी कारक है। जहाज,बंदरगाह, मछली, दासी और भोजन इन सब का कारक चंद्रमा है। स्त्रियों में दाएं नेत्र का कारक है।