बुध ग्रह से परिचय
बुध ग्रह राजकुमार का प्रतीक,चंचल प्रवित्ति,88 दिन में सूर्य के चारो ओर एक चक्कर पूरा करता हैI बुध कुंडली में सूर्य के एक राशी आगे – पीछे रहता है तीव्र गति का ग्रह होने की वजह से कभी पूरब तथा कभी पश्चिम में उदय होता हैlसूर्योदय से दो घंटे पहले तथा सूर्यास्त के दो घंटे बाद असमान में दिखाई देता है। बुध कुंडली में पापी ग्रहों के साथ होने पर पापी एवं शुभ ग्रहों के साथ होने पर शुभ ग्रह की भांति कार्य करता है। ज्योतिष,कानून, व्यवसाय, लेखन कार्य, अध्यापन, गणित, संपादन, प्रकाशन, खेल, वात, पित, कफ , हरे रंग, स्पष्टवक्ता, रजोगुणी, पृथ्वी तत्व, वैश्य जाति, नपुंसक ग्रह, उत्तर दिशा का स्वामी, कन्या एवं मिथुन राशियों का स्वामी हैl एक राशि में लगभग 30 दिन गोचर करता हैl यह ग्रह कन्या राशि में उच्च तथा मीन राशि में नीच, शरद ऋतु का प्रधान, प्रिय नग पन्ना और धातु कांस्य हैI वाणी,बुद्धि,विघा,मित्र सुख,मामा,शिशु,चतुर्थ भाव का कारक हैI बुध ग्रह के रोग नाड़ी तंत्र,दिमाग,फेंफडे,जीभ,बुद्धि,वाणी,शरीर की स्नायु प्रक्रिया,अस्थमा गूंगापन, मतिभ्रम, नाड़ी कंपन, चर्मरोग, वायुविकार, बेहोशी, कुष्टरोग से जुड़े होते हैI