वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम लोग यहाँ पर शुक्र से विचारणीय विषय के बारे में जानेंगे -
दक्षिण दिशा का स्वामी, भोग, ऐश्वर्य, वैभव, काम, इंद्रिय सुख, प्रेम, सौंदर्य, वीर्य, साज-सज्जा, श्रृंगार, लग्जरी, लग्जरी आइटम, स्त्री सुख, शय्या सुख, फैशन, आकर्षण, पत्नी, चरित्र, जवानी से संबंधित रोग, पूर्वाफाल्गुनी,भरणी,पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी,यौवन, काव्य, संगीत, नृत्य, अभिनय, गुप्तांग, वाहन, घर, घर में सुख साधन, वस्त्र, आभूषण,सजावट, सुगंधित वस्तु, नया घर, प्रेम प्रसंग, वेश्या गमन, शारीरिक आनंद, शारीरिक सुख, मदिरापान, सम्मोहन, मूत्र रोग, गर्भाशय, जल तत्व, स्वच्छता, वाहन,डिजाइन का कारक शुक्र हैI