पंचम भाव से विचारणीय विषय
पुत्र,संतान, विद्या, बुद्धि, टेक्निकल शिक्षा, उच्च शिक्षा, प्रेम, देव प्रेम, प्रेमी, प्रेमिका, ह्रदय, आत्मविश्वास, अमाशय, पूर्व जन्म, पूर्व जन्म के पुण्य कर्म, पीठ का ऊपरी भाग, गोपनीय विद्याओं की जानकारी, अचानक लाभ, विवेचन शक्ति,प्रतिभा, पिता के सत्कर्म, पत्नी के भाग्य से मिला धन वैभव, संकल्प शक्ति, किसी घटना का विस्तृत वर्णन,संरक्षण देना,रचना, कार्य आरंभ करना, मंत्रों के द्वारा देवताओं की पूजा अर्चना, अन्न दान या भंडारा,पाप पुण्य में भेद करने की क्षमता का विचार पंचम भाव से होगा। इस भाव का कारक बृहस्पति ग्रह हैI