केतु ग्रह के संबंध में विचारणीय बातें।

फ़लित ज्योतिष के शास्त्रो में केतु की भूमिका और महत्व चंद्रमा के चारों ओर स्थित है। यह चंद्रमा की धुरी पर दक्षिणी नोड है, और इसे वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु के रूप में जाना जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार केतु का आकार ध्वज जैसा है। केतु का ध्वज के आकार का शरीर अक्सर सूर्य से ऊपर और परे उठता है। केतु शैतान कुल का वंशज है, ध्रूम वर्ण से संबंधित है, और इसका गोत्र मिथुन है। केतु बृहस्पति के प्रति अनुकूल है, और चंद्रमा, मंगल और सूर्य का शत्रु है। बुध, शुक्र और शनि केतु के अनुकूल ग्रह हैं। राहु-केतु उसी के सिर और शरीर हैं, जिन्हें स्वरभानू कहा जाता है और वे निश्चित रूप से एक दूसरे के अनुकूल हैं। अक्सर ऐसा माना जाता है कि केतु एक अशुभ ग्रह है लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है। यह व्यक्ति को सदैव बुरे फल नहीं कह देता कुंडली के तीसरे छठे और ग्यारहवें भाव में उपस्थित केतु व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाता है। कुंडली में केतु सूर्य या चन्द्रमा के साथ हो तो ग्रहण दोष बनता है और उसका प्रभाव आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे व्यवसाय, विवाह, परिवार पर भी व्यापक रूप से पड़ता है। क्या आपकी कुंडली में ग्रहण दोष तो नहीं? बृहत् कुंडली से आपको अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे और आपके जीवन पर केतु अथवा अन्य ग्रहों के प्रभाव को समझने में भी मदद मिलेगी। सटीक कुण्डली, ग्रह जनित योगों एवं दोषों के विश्लेषण और उपायों के माध्यम से विस्तृत जानकारी मिलती है। केतु ही वह ग्रह है जो कुंडली में विशेष स्थिति में उपस्थित होकर व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करने में सक्षम होता है। केतु किसी भी व्यक्ति की कुंडली में विशेष स्थिति होने पर जातक को कालसर्प योग देने में भी सक्षम होता है। आकाश मंडल में केतु का प्रभाव वायव्य कोण अर्थात उत्तर पश्चिम दिशा में माना जाता है। यदि कुंडली में शुभ स्थिति में केतु हो तो व्यक्ति को यश और प्रतिष्ठा के शिखर तक पहुंचा सकता है। ऐसे व्यक्ति का करियर तेजी से आगे बढ़ता है। केतु ग्रह की स्थिति के कारण व्यक्ति समाज सेवा, आध्यात्मिक क्षेत्र और धर्म आदि से जुड़े कार्य करता है तथा सेवाश्रम, दूसरों की मदद करना तथा धार्मिक संस्थाओं से जुड़कर काम करता है। जहरीले जीव, भूरे एवं काले रंग के पशु – पक्षी, आदि केतु के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं।

केतु मीन राशि में उच्च का है और मिथुन राशि में विनाशकारी है। केतु की ताकत धनु, मीन और वृषभ राशि में निहित है। सातवें स्थान पर स्थित होने पर, केतु व्यक्ति के लिए अच्छी चीजें ला सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम लोग यहाँ पर केतु ग्रह से विचारणीय विषय के बारे में जानेंगे -

मंदिर का घंटा, पताका, मोक्ष, घूमने फिरने का कार्य,घूम फिर कर पंडिताई करना, शारीरिक व मानसिक मालीनता, बंधन, बालारिष्ट, भूख,छय रोग, नाना, परदादा, परदादी, तंत्र मंत्र, टोना टोटका, रहस्यमई विधाएं, विदेशी भाषा, अपमृत्यु, कपट, अलगाव, परिवर्तन, अस्थिरता, चेचक, पेट दर्द, आधासीसी, साइटिका, खुजली, फोड़ा, तलवार, मवाद, श्वेत कुष्ठ, चर्म रोग, सड़ाना,गलन,अर्श, बाबासीर, आत्महत्या, कार्य बिगाड़ना, मलेच्छ, दाढ़ी मूछ, वृद्धावस्था, धुआं, बनावटीपन,ढोंग, पुरानापन, सर्जरी, झुनझुनी, सुन्न रोग, शस्त्र, कैंसर, भगंदर, लंगड़ापन आदि केतु का कारक है।