यह ग्रह विचित्र वलये वाली दिखाई देती है । इसके नौ उपग्रह,साढे उन्तीस साल में सूर्य की परिक्रमा पूरी करने वाला,सबसे धीमा ग्रह हैl यह एक राशि मे ढाई वर्ष भ्रमण करता हैI शनि मकर एवं कुम्भ राशियों का स्वामी हैI तुला राशि में उच्च तथा मेष राशि में नीच होता है व रात्री बली ग्रह हैI इस ग्रह की विशेषताए प्रत्येक कार्य में रुकावट, लम्बा कद, कफ एव वात प्रक्रति, तमोगुणी, काला रंग, आलस्य युक्त, परजाति, नपुंसक ग्रह, वायु तत्व प्रधान, पापी ग्रह, सप्तम भाव में दिशा बली,प्रिय रत्न नीलम, धातु लोहा एवं पंचरत्न हैIशनि के कारक मेंरोग,आयु,मृत्यु,नौकर,व्यापर,लौहा,दुःख,विपत्ति,कुटिलता,स्वार्थ,लोभ,मोह,राज्यदंड, विश्वाशघात,कानून,जुआ,शराब,काला–कपड़ा, शल्य–चिकित्सा,स्वाधीनता,नर्व–सिस्टम,गठिया,वायु–विकार, लकवा,दरिद्रता,मजदूरी,कर्ज,भूमि आदि आती हैI 6,8,12 भाव का कारक शनि हैIशनि महराज का जिगर, बायां कान,पिंडली,घुटने,हड्डिया,जोड़,स्नायु तंत्र,थकान,लकवा,अस्थमा,पक्षाघात,पेट की बीमारी,कैंसर,टी.बी.जैसे लम्बे चलने वाले रोग,बुढ़ापे के रोगो पर प्रभाव हैI