ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को एक क्रूर ग्रह माना जाता है। जन्म कुंडली के अलग-अलग भावों में मंगल ग्रह का प्रभाव भी तरह- तरह का होता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को जहां राजा, चंद्रमा को रानी को मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है। मंगल ग्रह को साहस, पराक्रम, ऊर्जा, भूमि, रक्त, भाई, युद्ध, सेना और भाई कारक होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम लोग यहाँ पर मंगल ग्रह से विचारणीय विषय के बारे में जानेंगे -
युवावस्था,जोश, दक्षिण दिशा, क्रूरता,उग्रता,गर्मी,लालिमा,पराक्रम, दुष्टता, ढीठपन, बदला लेने की भावना,साहस, युद्ध की इच्छा, वीरता, संघर्ष की शक्ति,आतंक, दबदबा, निर्दयता, बलात्कार,घुंघराले केश, कद लंबा, कमर पतली, काफी उत्तेजक, देवता शिव हैं। चित्रा, धनिष्ठा, मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी है। मज्जा धातु, मांस का कारक, भाइयों का कारक, साहस, सेना,पुलिस, गुप्तचर, अग्निशमन विभाग, सर्जन, क्रोधी स्वभाव का, अपराध में निपुण, बदमाश, गुंडा, चोर, डाकू, कसाई, तस्कर,हत्यारा,अग्नि से संबंधित क्रियाएं, घाव, शस्त्र, गोली का घाव, आवेग, अधिकार, अपयश, भूमि,निर्माण से संबंधित, अधिकारियों से सम्बंधित,प्रशासनिक योग्यता, झूठ, ऑपरेशन, पर स्त्री गमन, मांसाहार, झगड़ा, रक्त, हड्डी का टूटना, थाना, पुलिस ,कोर्ट, कचहरी, मुकदमा, ड्राइविंग,मांस पेशिया,कमर और शरीर के पिछले हिस्से की मांसपेशियां, खूनी बवासीर, अंडकोष, मूर्छा, दुर्घटना,खून निकलना, नाक, कान, गला, मशीन का कार्य करने वाला, बिल्डर, ठेकेदार,खेलकूद का सामान, पित्त रोग, मांस पेशियों का विचार मंगल से होगा।