ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य को आत्मा, मान-सम्मान, राजा, उच्च पद, सरकारी सेवा,लीडरशिप आदि का कारक माना जाता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। सूर्य मेष राशि में उच्च का और तुला राशि में नीच का होता है। सूर्य और चंद्रमा दो ही ऐसे ग्रह हैं जिन्हें 1-1 राशि का स्वामित्व मिला हुआ है। सूर्य की महादशा 6 वर्षों तक रहती है। सूर्य उपासना के लिए रविवार का दिन सबसे अच्छा माना गया है। सूर्य का रत्न माणिक्य होता है। सूर्य हर एक माह में अपनी राशि बदलते हैं जिसे संक्रांति कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को पिता जबकि चंद्रमा को माता का कारक माना गया है। सूर्य की अच्छी स्थिति होने पर जातक के नाखून मज़बूत, गुलाबी और चमकीले होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम लोग यहाँ पर सूर्य से विचारणीय विषय के बारे में जानेंगे -
आत्मा,आत्मविश्वास आरोग्यता,रोग नष्ट करने की क्षमता, यश, उग्रता, क्रोध, शरीर में लालिमा, अग्नि प्रधान ग्रह, देवस्थान का कारक, कटु रस, प्रौढ़ावस्था, आंखों का कारक, कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी हैI इसके देवता शिव भगवान हैIस्वर्ण धातु,पिता, पद, राज्य, राजनीति,सरकार और सरकारी क्षेत्र, दाई आंखों, ह्रदय, कर्म, अधिकार, शासन, महत्वाकांक्षा, सिर, हड्डियों का जुड़ना, डायरिया और टाइफाइड, तेज होने वाले बुखार,स्त्रियों में बाय नेत्र,और पुरातत्व से संबंधित चीजे, रक्त संचालन,छोटी नशे,प्रशासन से संबंधित जितनी भी चीजें हैं वह सूर्य के अधीन में आती हैI सूर्य आत्मा है, सिर का स्वामी,मुख मंडल पर तेज, पित्त धातु सूर्य से सम्बंधित है ।