वैदिक ज्योतिष की बात करें तो हमारे प्रत्येक ग्रह और तारे में एक भौतिक समानता है। वैदिक ज्योतिष में राहु 27 नक्षत्रों में से आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी माना गया है। जैसा कि हमने पहले ही आपको बताया ज्योतिष में राहु ग्रह को एक छाया ग्रह कहा जाता है। कार्य व व्यवसाय - कूटनीतिक कार्य, राजनीति, आखेट, क़ानून से सबंधित कार्य, सेवा, बुरे कर्म, चोरी, जादूगर, हिंसा आदि कार्यों को ज्योतिष में राहु ग्रह के द्वारा दर्शाया जाता है। उत्पाद - मांस, शराब, गुटका, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट एवं अन्य मादक पदार्थ ज्योतिष में राहु ग्रह के द्वारा दर्शाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चंद्रमा आता है तब पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया राहु ग्रह की अगुवायी करती है। उनकी उपस्थिति भौतिक और स्पष्ट रूप में है। लेकिन हिंदू ज्योतिष शास्त्र में ऐसे दो ग्रह हैं जो वास्तव में भौतिक रूप से मौजूद नहीं हैं- ये हैं राहु और केतु। ज्योतिष में राहु और केतु को आमतौर पर अशुभ ग्रह माना जाता है। राहु को एक अमूर्त इकाई भी कहा जाता है और यह ग्रहण का कारण बनता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राहु और केतु दो छायाएं हैं। उन्हें पाप ग्रह माना जाता है, और राहु काल किसी भी अच्छे कार्य को शुरू करने के लिए अशुभ माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम लोग यहाँ पर राहू ग्रह से विचारणीय व्यवसाय के बारे में जानेंगे -
कम्प्युटर, बिजली, अनुसंधान, आकस्मिक लाभ वाले कार्य, मशीनों से संबंधित, तामसिक पदार्थ, जासूसी गुप्त कार्य संबंधी, फोटो, फोटोकापी, कीट नाशक, एण्टी बायोटिक दवाईयां, पहलवानी, सट्टा, सपेरा, पशु वधशाला, जहरीली दवा, चमड़ा व खाल से सम्बंधित कार्य |