मंगल ग्रह का परिचय

मंगल क्रोधी स्वभाव, लाल रंग, धैर्य एवं पराक्रम का प्रतीक, पुरुष जाति, दक्षिण दिशा में बलवान, अग्नि तत्व. पित्र प्रकृति, तमोगुणी, युवावस्था, उग्र स्वभाव, क्षत्रिय जाति, क्रूर ग्रह है। मंगल मेष व वृश्चिक राशियों का स्वामी हैI मकर राशी में 28 अंश पर परमोच्च तथा कर्क राशी में 28 अंश पर परमनीच होता है । इसे दशम भाव में दिशाबल प्राप्त होता है व एक राशी में 45 दिन भ्रमण करता हैI इसका प्रिय रत्न मूंगा, प्रिय धातु सोना हैl ,इसे सेनापति ग्रह भी बोला जाता है।मंगल ग्रह से पित्त विकार,साहस में कमी,गर्मी, रक्तचाप, पित्र, जलन, रक्त, कुष्ट रोग, गुप्तांगो में तकलीफ, गुर्दा, मसपेशियाँ, पेट से पीठ तक कमजोरी, बुखार, चोट लगना, जलना, चेचक, खसरा, संक्रमक व प्लेग जैसी बीमारियाँ देखि जाती हैI मंगल छोटे भाई – बहिन, भूमि, सेना, शत्रु, क्रोध, ऑपरेशन, पुत्र-संतान, तांबा एवं सोना व कुंडली में तीसरे,छठे व दसवे भाव का कारक हैI